इतनी प्यास क्यूँ मेरे मन में
बादल का एक टुकड़ा ना मेरे आँगन में
मेरा जहाँ भी अब तो आबाद करो
पूरा शहर भीगा मेरे घर में भी बरसात करो
दो वापस मुझे मेरा जहाँ
मेरी भी तो सुनो तुम हो कहाँ
मेरे दर्द का इन्साफ कर दो
और मेरे गुनाहों को माफ़ कर दो
मेरी मंजील का ये सुना डगर
और मैं भटका हुआ इसपर
मेरी दुनिया का सूरज है खो गया
ना मंजिल का है ठीकाना, न राह आये नज़र
बेमतलब सा लगता है ऐसे जीने में
जाने कौन सा डर है अबतक सीने में
अब और क्या है जो जायेगा
जो यूँ चला गया वो वापस ना आएगा
किसी की आहात होती है जब
तुम ना हो ये सोचने से मुकर जाता हूँ
इसीलिए इस पल जिंदा होता हूँ
तुम्हे ना पाकर अगले ही पल मर जाता हूँ
5 comments:
kiiiiiiiii likhaaaaa haiiiii
very touching ...lot of emotions wrapped in words ..wonderfully written ! :)
hiii!! thank you people..you encourage me!!
Very nice abhishek i ll copy ur poems for someone someday[:D
@aakansha ...i wish , you never get such day!! never get to mourn..be happy!!!
Post a Comment